यार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यार संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. मित्र । दोस्त । उ॰—(क) बाँका परदा खोलि के सनमुख लै दीदार । बास सनेही लाइयाँ आदि अंत का यार ।— कबीर (शब्द॰) । (ख) रह्यौ रुक्यौ क्यों हू सुचलि आधिक राति पधारि । हरतु ताप सब द्यौस को उर लगि यार बयारि ।—बिहारी (शब्द॰) ।
२. किसी स्त्री से अनुचित संबंध रखनेवाला पुरुष । उपपति । जार ।
३. सहायक । साथी । हिमायती (को॰) ।